आदि हिमानी चामुंडा
धौलाधार की वादियों में बसा ये मंदिर आपको प्रकृति के खूबसूरत नाजारो से रुबरु करवाता है। धौलाधार की खूबसूरत बर्फ की ढकी वादियों के बिच में स्थीत ये मंदिर आपको चामुंडा माता के दर्शनों के साथ प्रकृतिक सौंदर्यो से आवगत करवाता है। ये समुन्दर तल से 10000 फ़ीट ऊंचाई पर स्थीत है यहां हर वर्ष हजारो की संख्या में पर्यटक माता के दर्शनों के लिए आते है। ये मन्दिर हिमालयो में काँगड़ा घाटी मे है जो की हिमाचल प्रदेश का जिला है
इतिहास
आदि हिमानी चामुंडा नंदिकेश्वर में माँ भगवती शक्ती रूप में विराजमान है। पौराणिक मान्यतो के अनुसार इस स्थान पर असुर जलन्धर और महादेव के बिच युद्ध के दौरान भगवती चामुण्डा को रुद्र अवतार प्राप्त हुआ था। माँ चामुंडा यहां जलन्धर पीठ के उत्तरी द्वारपाल के रूप में भी खयाति प्राप्त है। जब देवासुर संग्राम हुआ तो
भगवती कोशकी ने अपनी भृकुटि से माँ चंडिका को उत्पन किया और उन्हें चंड मुंड नाम के देत्यो का वध करने को कहा माँ भगवती चंडिका व देत्यो चंद मुंड के साथ भीषण संग्राम हुआ। माँ ने दोनों देत्यो का वध कर दिया और उनके सिरों को काट कर माँ कोशकी के पास ले गई भगवती ने खुश हो कर कहा की तुमने देत्यो चूंड मुंड का वध कर दिया अब तुम संसार में चामुंडा नाम से प्रसिद्ध होगी। तब से ही चामुंडा में चामुंडा माँ उस जगह की अधिष्ठात्री देवी है।
कैसे पहुंचे
आप को चामुंडा तक बस के माधयम से पहुंच सकते है जो की आपको शिमला, धर्मशाला, दिल्ली और देश के बाकि हिसो से भी मिल जाएगी
ट्रैक
आदि हिमानी चामुंडा माँ के मंदिर को दो रास्तो से पहुंचा जा सकता है एक जादरानगल गांव से होकर , जो मुख्यो सड़क से करीब नैय चामुंडा 10 से 15 मिनट की पैदल दुरी पर है। इसमें आपको सिर्फ कुछ हजार सीढ़ियां चढ़नी होंगी निशान तुलनात्मक रूप से आसान है। और दूसरा रास्ता जिया गांव से शुरू होता है। जो की एक अच्छी तरह से चिन्हित निशान भी है। जिया गांव चामुंडा से 12 किमी की दुरी पर है जहां दिन में काफी कम बस जाती है जिया गांव के रास्ते के माध्यम से मंदिर आधे से ज्यादा रास्ता आपसे छुपा रहता है एक तरफ चलने की दुरी 7 से 8 किमी होगी और इसके माध्यम मंदिर की चोटी पर चढाई है
धौलाधार आपके दायिने से उपर उठता है धौलाधार की बर्फ से ढकी पहाड़िया आपको प्रकृति का सूंदर रूप दिखाती है
ये रास्ता जंगलो से गुजरता है। आपको इन पहाड़ो में पैराग्लाइडर का दिखना आम बात है। ये पैराग्लाइडर बीड बिलिंग से उड़ान भरते है और आसमान में आजाद पंछियो की तरह उड़ते हैं। जिससे हर कोई उन्हें देखता रह जाता है।
इस ट्रैक में पानी की कमी है और इस रास्ते पर पानी का कोई स्त्रोत उपलब्ध नहीं है तो आप पानी खुद का ही ले कर जाये रास्ता अच्छी तरह से बनया गया है। रस्ते में कहीं कहीं सोलर लाइट दैखने को मिलती है जो की एकल ट्रैकर के लिए पहचान के रूप में काम आते है और रात में ट्रैकिंग करने वालो को रौशनी उपलब्ध करवाते है
इस रास्ते के माध्यम से आप 3 से 5 घण्टो में मन्दिर पहुंच सकते है आप ऊपर पहुंचते थक जरूर जाओगे। ऊपर का दृशय आपको मन को मोह लेगा। रात को वहां काफी ठण्ड होती है सुबह उठते ही जब सूर्यो की किरणे
धौलाधार की पहाड़ियों के बर्फ के ऊपर पड़ती तो वो दृश्यों आपको मन्त्र मुग्ध कर देंगे
इस ट्रक को कुछ लोग एक दिन में भी ख़त्म कर देते है। आप अगर रात को रुकना चाहते है तो आप वहीं अपना टेंट लगा के रह सकते है आप अपने साथ अपना जरुरी सामान ले जाये पॉवरबैंक, टोर्च, छाता, खाने,पीने और जो आपका जरुरी समान हो। वहां एक ही दुकान है इस लिए खाने पिने का अपना समान ले कर जाये आप मंदिर परीसर में भी रुक सकते है
मंदिर के द्वार अप्रैल 15 और नवम्बर 15 के बिच खुले रहते है। आप इस के बाद भी यात्रा कर सकते है। लेकिन मंदिर के पुजारी और उनके सहयोगी नहीं मिलेंगे
सिद्ध पीठ आदि हिमानी चामुंडा (पुराना चामुंडा) मंदिर (लगभग 3,180 मीटर / 10,500 फीट) की यात्रा करते हैं, जो स्थानीय चरवाहों के लिए एक मौसमी अनुष्ठान है, जबकि मैदानी इलाकों से लोगों के लिए एक कठिन यात्रा है।
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